Sunday 14 January 2018

संक्रांति का पर्व


धुंधले-धुंधले आसमां पर
आज लगा पतंगों का मेला है_
आज हर पतंग के साथ झूमता
उसका धागा भी रंगीला है_

दूर-दराज़ के देश-देश से
विविध-विचित्र पतंगें आई है
जिनके रंग और रूपों की छटा
सबको बड़ी सुहाई है

धूम्रवर्णी आसमां पर
रूपों व रंगों का जादू फैला है
कि आज फिर लगा
मनचली पतंगों का मेला है
जिनका हर एक लहराता
धागा भी रंगीला है

तभी_
नीली कर्क पतंग के
उस लाल मकर से मिल गए नैन
और भिड़ गया टांका
जो उड़ रही थी सबसे ऊंचा उस ओर
किन्तु_
उससे मिलने की कोशिश में
कट गई उस पतंग की डोर
अरे!
कट गई नीली कर्क पतंग
और मकर का परचम लहराया है
देखने को यह सब नटखट नज़ारा
सूरज भी थोड़ा और करीब आया है
कि आसमां ने आज
संक्रांति का पर्व मनाया है..!

-iCosmicDust (निकिता पोरवाल )


No comments:

Post a Comment