DreamWorld Arts
Redefining Imagination...!
Saturday, 5 December 2015
Poetry
तेरी यादों में डूबा हूँ कुछ इस तरह_
कि_ न वक़्त का_ न ही खुद का होंश रहा_ _
ख़ामोशी का समंदर भी
मुझे ऊपर की ओर धकेलता रहा_
और मैं उतनी ही गहराइयों में डूबता रहा_ _
तप गयी मेरी रूह_ तेरे इश्क़ में कुछ इस तरह_
सीपी में मोती पकता है जिस तरह_ _!
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