स्मृतियों का एक वृक्ष है
जो कभी बूढ़ा नहीं होता
मनुष्य बूढ़ा होता जाता है
किन्तु स्मृतियों का वृक्ष _ उतना ही तरूण होता जाता है _
जिस पर अक्षर रूपी फल पकने लगते है _ _
और उनमें से कुछ कच्चे, कुछ अधपके, और पके से _
मन की भूमि पर _ गिरने लगते है
जिन्हें एकत्र कर लेखक
कलम में _
स्याही की तरह भर देता है
और कहानियों, कविताओं व उपन्यासों की पुस्तकों में
फ़ैलाकर _ अलंकृत कर देता है
जिनको पढ़कर पाठकों के स्मृति वृक्ष पर बैठी _
भाव कोकिला _ _
नादन करने लगती है
जिसकी मधुर तरंगों से
स्मृतियों का वह वृक्ष _
और अधिक तरूण हो जाता है _ _ _
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