Monday 30 November 2015

Baby Peacock Feather...!




Baby Peacock Feather don't know how to write and completely messed up with ink...!

it's a raw sketch, final file will be upload soon...


ख़्वाब


आज़ फ़िर मैंने मैंने एक  ख़्वाब देखा_ _
दूसरों की ही तरह वह भी आया
और आकर मेरी तन्हाइयों का दरवाजा खटखटाया_
खामोशियों के परदों से झाँका और मुस्कुराया_
फ़िर चंद लम्हों की अपनी मुस्कान बिखेरकर वह वापस चला गया_ _
रुका नहीं _ _
देख लिया था उसने कि
अंतर में ना जानें कितने ही ख़्वाब सोये हुए है_
कुछ अधजगे है_
और एक है_  जो जागा हुआ है
और दूसरों को जगाने की नाकाम कोशिश में जुटा है_ _ _


Sunday 29 November 2015