Monday 5 February 2018

चलो..! खेलते है...!!



पलंग पर लेटे-लेटे जब_
अपने कमरे की खिड़की से बाहर झाँककर
मैं, आकाश की नयी धुली चादर ताक रहा था..!
कि, तभी_
एक गुन-गुन करता भँवरा आया,
और अंदर झाँककर बोला_
बाहर आओ ना_! खेलते है...!!
बाग़ में खिले फूलों की ख़ुश्बू _
फ़िर कुछ नयी तितलियों को खींच लाई है..!
चलो! उन्हें छेड़ते और पकड़ते है..!
फ़िर उनके पंखों के कच्चे रंगों से_
एक-दूसरे को रंगते है..!
और अम्बरी पर बैठी कोयल के_
सुरों में नये सुर के साथ किलोलते है..!
बाहर आओ ना_! खेलते है...!!

थोड़ी देर बाद_
चिड़िया भी आई! और चिड़ा भी..!
और वो कबूतर भी_
कि जिसके कितने ही अंडे_
मेरे रोशनदान में पल कर बढ़े हुए है_!
वे सब झाँककर बोले_
बाहर आओ ना_! खेलते है...!!
पेड़ों पर उल्टा लटककर_
फ़िर से_ चमगादड़ों को चिढ़ाते है..!
और, कचे-पके से आम खाकर,
बरगद की लटकती शाखों पर_
चलो, हवा से भी तेज़ झूलते है..!!
बाहर आओ ना_! खेलते है...!!

रात हुई_!!
चाँद भी आया..!!
पहले हौले से उसने तांका..
फ़िर पूरा अंदर झाँका
और बोला_
बाहर आओ ना_! खेलते है...!!
उस सूखे पेड़ की शाख़ों में_
फ़िर कोई आवारा बादल अटकाते है..!
और जुगनूओं को पकड़-पकड़ कर,
टांक कर उसमें, उसको सजाते है..!!
फ़िर चुपके से जाकर_
चलो_ उस खड़ूस उल्लू को,
मीठी गुदगुदियों से
ठिठोलते है..!
बाहर आओ ना_! खेलते है...!!

सुबह हुई..!
सूरज़ भी आया_!
और अपने सुर्ख़ लाल चेहरे से,
खिड़की के अंदर,
एकदम से वो झाँका..!
जिसको देखकर लगा कि_
फ़िर से समुद्र की मछलियाँ चुराके खाने पर
माँ ने उसको तमाचा मारा है_!
लेकिन, फ़िर भी वो भागकर आ गया
और झांककर बोला_
बाहर आओ ना_! खेलते है...!!
आज़ फ़िर मैं अपने अंदर छुपाकर_
बहुत सारी बर्फ़ ले आया हूँ..!!
चलो..!
लोटू,छोटू, पिंटू, कालू _
सबकी कॉलर में वो बर्फ़ उड़ेलते है..!!
बाहर आओ ना_! खेलते है...!!

और मैं..!!
मैं सबको बस यही कहता रहा..
कि थोड़ा बुख़ार है मुझे_
माँ डाँटेगी..!!

परसों_ जब हमने_
वो जोर से गरजते अजनबी बादलों के साथ
जो कुश्ती की थी..!!
तो उनके पसीने की शीतल बूंदों में भीगने से
मेरे शरीर का ज्वर थोड़ा बढ़ गया..!!
अस्सी साल का बूढ़ा हूँ तो क्या..!!??
माँ के लिये, अभी भी बच्चा ही हूँ मैं..!!
अभी यदि _
तीन दिन के आराम के पहले बाहर निकला_
तो माँ डाँटेगी..!!

लेकिन _
मन तो मेरा भी है,
कुछ खेलते है..!
क्यूँ ना आज_
तुम सब अंदर आ जाओ_!
कि कुछ खेलते है..!!



-iCosmicDust (निकिता पोरवाल)