आज फिर.. अतीत ने मेरा हाथ पकड़ मुझे पीछे खी़ंच लिया..
तो झटके से दूसरे हाथों में थमा भविष्य का गुलदस्ता_
नीचे गिर चकनाचूर हो गया..!
जब छुड़ाने लगी खु़द को
अतीत की जकड़न से..
तब गुलदस्ते का एक टुकड़ा
पैरों में चुभ गया..
दोनों ही जख्म़ अब दर्द बराबर देते है..
दिखते नहीं है आँखों से
मगर इनकी चुभन से
आँसू भी रो देते है..!
-निकिता